कोर्ट ने कहा – सुराबर्डी तालाब क्षेत्र का अतिक्रमण तुरंत हटाएं

Nagpur News सुराबर्डी तालाब परिसर और पांदण सड़क (पगडंडी) पर किया गया अतिक्रमण तत्काल हटाने के सख्त आदेश बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने तहसीलदार को दिए हैं। कोर्ट के आदेश के अनुसार तहसीलदार और सुराबर्डी ग्राम पंचायत को अतिक्रमण हटाने की संयुक्त कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह में कार्यवाही की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी है।

पानी पीने योग्य नहीं : नागपुर खंडपीठ में नितिन शेंद्रे ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, अमरावती मार्ग और वाडी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाला सुराबर्डी तालाब लगभग 75.39 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस तालाब का पानी न केवल सुराबर्डी ग्राम पंचायत बल्कि नागपुर शहर के लिए पीने योग्य नहीं है। सुराबर्डी तालाब दुरावस्था स्थिति में है और यहां अतिक्रमण भी हो चुका है। इसलिए याचिका में अनुरोध किया गया है कि सुराबर्डी तालाब को प्रदूषण से बचाने के लिए तुरंत प्रभावी कार्यान्वयन योजना का आदेश दें।

लीज की जमीन का निजी उपयोग : तालाब के पास आम जनता के लिए पर्यटन विकास के उद्देश्य से लीज पर दी गई जमीन का निजी उपयोग करने की बात सामने आई थी। साथ ही तालाब के आसपास की अन्य समस्याएं भी न्यायालय के संज्ञान में आईं। इस पर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वीआईडीसी के कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी। साथ ही न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि वीआईडीसी के अधिकारियों के कारण न्यायालय का समय व्यर्थ जा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो अधिकारियों के वेतन से पैसे काटने की भी कोर्ट ने चेतावनी दी थी।

कोई कार्रवाई नहीं की गई : बुधवार को हुई सुनवाई में तालाब के आसपास किए गए अतिक्रमण का मुद्दा उठाया गया। इस पर राज्य सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि, तालुका लैंड रेकार्ड ने हाल ही में तालाब परिसर का सर्वेक्षण किया, जिसमें पादंण सड़क और अन्य कुछ जगह अतिक्रमण करने की बात सामने आई। तालुका लैंड रिकार्ड ने इस बारे में 3 मार्च 2025 को तहसीलदार को इसकी जानकारी दी, लेकिन तहसीलदार या ग्राम पंचायत द्वारा अतिक्रमण हटाने कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सुधीर मालोदे, राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे और वीआईडीसी की ओर से एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की।

प्रतिवादियों को फटकार : सुनवाई के दौरान वीआईडीसी और महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ठोस कदम न उठाने को लेकर कोर्ट ने जमकर फटकारा। साथ ही इन्हें एक सप्ताह में विस्तृत शपथ पत्र दायर करने के आदेश दिए। सुनवाई में वीआईडीसी ने बताया कि, पर्यटन विकास परियोजना के तहत विदर्भ में 16 स्थानों पर जमीन लीज पर दी गई है। इनमें कुछ जगह पर्यटन चल रहा है तो कहीं विकास कार्य हो रहा है। लेकिन जहां कुछ नहीं चल रहा, ऐसी जमीन पर्यटन विकास के लिए एमटीडीसी को देने पर वीआईडीसी विचार कर रहा है। चूंकि यह जानकारी शपथ पत्र में नहीं थी, इसलिए कोर्ट ने उक्त आदेश दिया।