
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है, जो कि हर माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि को आता है। कार्तिक माह में यह व्रत 29 अक्टूबर, मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन आने वाले व्रत को भौत प्रदोष के नाम से जाना जाता है। प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव की पूजा के लिए समर्पित है।
माना जाता है कि, जो भी भक्त इस दिन का व्रत रखकर पूरे श्रद्धा भाव के साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन्हें जीवन में कभी परेशान नहीं होना पड़ता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार का भौम प्रदोष व्रत पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि के बारे में…
तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार की सुबह 10 बजकर 31 मिनट से
तिथि समापन: 30 अक्टूबर 2024, बुधवार की दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक
पूजा का मुहूर्त: 29 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक
बन रहे हैं ये तीन योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पुष्कर योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। वहीं इंद्र योग सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। जबकि, व्रत के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सुबह से शाम 6 बजकर 34 मिनट तक है। इसके बाद बाद से पूरी रात हस्त नक्षत्र रहेगा।
पूजा विधि
– सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
– भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
– भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
– फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
– प्रदोष समय में सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
– विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करें।
– शिव जी की पूजा करते समय शिव पुराण और शिव स्तुति करें।
– शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।