
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की पुष्टि के लिए केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों से सांविधिक संकल्प को पास कराया। इसे लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कई आरोप लगा रही है।
कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ने इसे जल्दाबाजी में पारित कराया। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाए है कि केंद्र सरकार ने असहज करने वाले सवालों से बचने के लिए मणिपुर पर जल्दबाजी में संकल्प को पारित किया गया।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि करने वाले सांविधिक संकल्प को लोकसभा ने बीते बुधवार देर रात पारित किया। इसके अगले दिन इसे राज्यसभा की मंजूरी मिली। हिंसाग्रस्त मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
पीआईबी से मिली जानकारी के मुताबिक केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अनुमोदन के लिए रखे प्रस्ताव को लेकर कहा मणिपुर सरकार के सामने कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया था क्योंकि विपक्ष के पास यह प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त सदस्य ही नहीं हैं। शाह ने कहा कि उनकी पार्टी के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया और फिर राज्यपाल ने बीजेपी के 37, एनपीपी के 6, एनपीएफ के 5, जद (यू) के 1 और कांग्रेस के 5 विधानसभा सदस्यों से चर्चा की। जब अधिकतर सदस्यों ने कहा कि वे सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं, तब कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की, जिसे राष्ट्रपति महोदया ने स्वीकार किया।
शाह ने कहा दिसंबर, 2024 से आज तक मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई। इस दौरान शाह ने 13 फरवरी, 2025 से 7 साल पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर में उस वक्त विपक्ष की सरकार थी और तब वहां औसतन एक साल में 200 से अधिक दिन मणिपुर में बंद, ब्लॉकेड और कर्फ्यू रहा था। 1000 से अधिक लोग एनकाउंटर्स में मारे गए थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त भी तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा नहीं किया था। शाह ने कहा जातीय हिंसा और नक्सलवाद में फर्क है। मणिपुर में हुई हिंसा एक संवेदनशील विषय है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।