कटरा जहां नौ महीने पहले तीन लोगों की जान गई थी वहां फिर से आबाद हो गईं रेत की अवैध खदानें

कपिल श्रीवास्तव| जबलपुर। 5 जून 2024 की सुबह करीब 11 बजे का वह दिन दहला देने वाला मंजर। गोसलपुर के ग्राम कटरा खमरिया के खेल मैदान के नीचे बरने नदी की सतह पर लंबे समय से संचालित रेत की अवैध खदान धंसकने से वहां काम कर रहे गांव के 8 लोग रेत के अंदर दब जाते हैं। खुशबू बसोर, चांदनी बसोर, सरोज, गीता तथा बबलू बसोर को तो बचा लिया जाता है लेकिन राजकुमार पिता कैलाश खटीक, मुकेश पिता चगन लाल बसोर एवं मुन्नी बाई पति चगनलाल बसोर रेत के अंदर ही दम तोड़ देते हैं।

बरने नदी पर आसपास संचालित करीब 50 अवैध खदानों पर रेत भरने पहुंचीं ट्रैक्टर ट्रॉलियों की रेलमपेल, काम कर रहे लोगों की भागमभाग और चीख पुकार के बीच, इन अवैध खदानों को एक सिंडीकेट के रूप में संचालित करने वाले और उनसे जुड़े लोग मौके से गायब हो जाते हैं। मौके पर पहुंचे पुलिस व प्रशासन के लोग अवैध खदानों को बंद करने का अभियान चलाते हैं। पूरे सिहोरा अनुभाग में करीब महीने भर चला अभियान बारिश शुरू होने के साथ थम जाता है।

बारिश बाद करीब दो महीने शांति रहती है और फिर रेत की अवैध खदानों का संचालन शुरू हो जाता है। इस समय बरने नदी पर कटरा से आलगोड़ा तक करीब डेढ़ दर्जन खदानें चल रही हैं। इनमें से 4 खदानें तो कटरा खमरिया में दहरिया घाट पर उस स्थान पर चल रही हैं जहां से बमुश्किल सौ मीटर दूर हादसा हुआ था। जिला खनिज अधिकारी रत्नेश कुमार दीक्षित के अनुसार, मैदानी अमले को भेजा जाएगा और मौका मुआयना कर, अवैध खदानों को बंद कराया जाएगा।

सबसे बड़ी खदान कटरा में

सबसे बड़ी अवैध रेत खदान कटरा खमरिया में बरने नदी के मुहाने पर चल रही हैं। दहारिया घाट पर सौ मीटर के दायरे में चल रहीं चारों अवैध खदानों को इस तरह आकार दिया गया है कि गोसलपुर के साथ मझगवां पुलिस को आसानी से चकमा दिया जा सके और अफसरों को भ्रमित कर, कार्यवाही में विलंब कराया जा सके। टीम जब मौके पर पहुंची तो इन चारों स्थानों पर करीब हजार स्क्वायर फीट के गड्ढे में कमर तक भरे पानी में डेढ़ दर्जन लोग उतरे हुए थे। वे गड्ढे के अंदर से बाल्टी में पानी के साथ रेत भर कर निकालते। पानी वापस गड्ढे में डाल दिया जाता और नीचे बची रेत तसलों में भर ली जाती। तसलों में भरी रेत को गड्ढे के मुहाने पर डाला जा रहा था। अंदर अचानक पानी न बढ़ जाए मोटर पंप लगे हुए थे, जिनमें लगे पाइपों से लगातार पानी बाहर फेंका जा रहा था।

हर दिन करीब 150 ट्रॉली रेत

सूत्रों के मुताबिक कटरा खमरिया से ही हर दिन करीब 150 ट्रॉली यानी करीब 500 घनमीटर रेत निकाली जा रही है। इस रेत का बाजार मूल्य पांच लाख से ज्यादा है। रेत अवैध खनन कर परिवहन की जा रही है शासन को हर माह करीब सवा दो लाख के राजस्व का नुकसान हो रहा है जो उसके खजाने में जाना चाहिए था।

सेशन कोर्ट में मामला, पुलिस की लचर कार्यप्रणाली सामने आई

नौ महीने पहले हुए कटरा हादसे के प्रभावितों और प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बरनू की मटमैली रेत का काला कारोबार करने वालों के रूप में सिहोरा के तत्कालीन भाजपा मंडल अध्यक्ष अंकित तिवारी, गोसलपुर के सोनू भदौरिया तथा खितौला के चिंटू ठाकुर के नाम पुलिस को बताते हुए, इन तीनों को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों के नाम सामने आते ही जांच की गति धीमी हो जाती है।

6 दिन बाद गोसलपुर पुलिस एफआईआर दर्ज करती है लेकिन यह जानते हुए भी कि मृतक व घायल एससीएसटी वर्ग के हैं वह एट्रोसिटी की धारा नहीं लगाती। इसका फायदा आरोपित उठाते हैं। सोनू भदौरिया तथा खितौला के चिंटू ठाकुर जमानत प्राप्त कर लेते हैं जबकि अंकित तिवारी का नाम पुलिस एफआईआर से हटा देती है। हादसे के पांच महीने बाद गोसलपुर पुलिस आईजी व एसपी के हस्तक्षेप पर एट्रोसिटी एक्ट की धारा जोड़ती है और कोर्ट में चालान पेश करती है। सेशन कोर्ट में मामला विचाराधीन है।

इस बीच मृतकों के परिजनों को तो मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से दो-दो लाख रुपये का मुआवजा मिला लेकिन पांचों घायलों के मुआवजे की फाइल सिहोरा एसडीएम कार्यालय में ही दफन कर दी गई।