
Pune News : विधानसभा चुनाव में महायुति ने दो तिहाई सीटें जीतकर पूरे देश को दंग कर दिया है। महायुति की सरकार बनने जा रही है, परंतु मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मामला अटका हुआ है। शिवसेना (शिंदे) जहां अपने नेता एकनाथ शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री देखना चाहती है, वहीं भाजपा एवं राकां अजित खेमा देंवेंद्र फडणवीस का नाम आगे कर रही है। राज्य के ओबीसी नेता एवं वरिष्ठ राकां नेता छगन भुजबल ने भी देवेंद्र फडणवीस के नाम को आगे बढ़ा दिया है। पुणे आए भुजबल ने कहा कि राज्य को ओबीसी मुख्यमंत्री की बजाय ऐसा मुख्यमंत्री चाहिए जो गरीबों की भलाई के काम कर सके। देवेंद्र फड़णवीस ने मुख्यमंत्री रहते कई ऐसे कई काम किए हैं, जिससे गरीबों का उत्थान हुआ है। इसलिए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। यह काम काफी पहले ही हो जाना चाहिए था।
– ओबीसी के अधिकारों से समझौता नहीं किया
पुणे के महात्मा फुले स्मारक पहुंच कर भुजबल ने उनका अभिवादन किया। मीडिया से भुजबल ने कहा कि महायुति की पिछली सरकार में भाजपा ने फडणवीस को उप मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी, जिसे उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से निभाया। सभी पिछड़े वर्गों और ओबीसी के अधिकारों का हनन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए फडणवीस ने सहयोग किया। ओबीसी के अधिकारों से समझौता नहीं किया। महायुति को प्रचंड बहुमत दिलाने का काम किया। इसलिए हम देवेंद्र फडनवीस को मुख्यमंत्री बनने के लिए शुभकामनाए देते हैं। शिवसेना पदाधिकारियों द्वारा एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की बात पर भुजबल ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने साफ कह दिया है कि भाजपा के वरिष्ठ जो भी फैसला लेंगे वह उन्हें भी स्वीकार होगा। ऐसे में राज्य के मख्यमंत्री का विवाद अब सुलझ चुका है। वहीं राष्ट्रवादी के कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि दादा यानि अजित पवार मुख्यमंत्री बनेंगे तो अच्छा है, पर भुजबल ने कहा कि इस बार बीजेपी के 132 विधायक चुन कर आए हैं। इसलिए फडणवीस को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।
– भुजबल ने जरांगे पर साधा निशाना
इस दौरे पर भुजबल ने एक बार फिर मनोज जरांगे पाटिल पर निशाना साधा। भुजबल ने कहा कि ईवीएम जीतती तो मुझे भी एक लाख वोट मिलने चाहिए थे। मेरा वोट शेयर बढ़ना चाहिए था, लेकिन वह घट गया। मनोज जरांगे पाटिल ने सुबह दस बजे से रात दो बजे तक गांव-गांव जाकर जातिवाद फैलाने का काम किया। जरांगे ने दावा किया कि उनकी वजह से मेरा वोट प्रतिशत कम हो गया है। संजय राउत के उटपटांग बयानों के बारे में भुजबल ने कहा कि उनके पास पांच साल तक करने के लिए कोई काम नहीं है, इसलिए उन्हें आलोचना करनी पड़ रही है।