एक साल में सामने आए फाइनेंसियल साइबर फ्रॉड के 300 से ज्यादा मामले

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बदलते वक्त के साथ सामान्य जन-जीवन में तकनीकी का समावेश बेहद तीव्रगति से हो रहा है। छोटे-छोटे कार्यों से लेकर बैंकिंग में डिजीटिलाइजेशन बढ़ा है, मगर उतनी ही तेजी से साइबर अपराधों में भी इजाफा हो रहा है। शातिर अपराधी हर दिन नए-नए हथकंड़ों का इस्तेमाल कर लोगों की गाढ़ी कमाई ऐंठ लेते हैं। ऐसे जालसाजों तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। जाली दस्तावेजों पर सिमकार्ड से लेकर किराये पर बैंक एकाउंट का इस्तेमाल करने वाले साइबर ठग अधिकांश मामलों में कानून की गिरफ्त से दूर रह जाते हैं। हालांकि पुलिस से लेकर सभी बैंक निरंतर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को साइबर फ्रॉड के खतरों से आगाह करते रहते हैं, मगर यह सिलसिला नहीं थम रहा है। बीते एक साल में ही सतना-मैहर जिलों में 300 से ज्यादा फाइनेंसियल फ्रॉड की शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। जिनमें अलग-अलग स्तर पर जांच चल रही है। हालांकि इसका एक सुखद पहलू यह भी है कि सीमित संसाधनों के बावजूद पुलिस के साइबर विशेषज्ञों ने आमजन के 90 लाख रुपए बचाने में सफलता हासिल की है।

फ्रॉड होने पर यहां करें शिकायत

वर्ष 2024 में ही सतना-मैहर जिलों को मिलाकर फाइनेंसियल फ्रॉड की 300 शिकायतें अलग-अलग थानों के माध्यम से साइबर यूनिट तक पहुंची हैं, जिनमें अलग-अलग स्तर पर जांच चल रही है। सीमित संसाधनों और मैन पावर के साथ कार्यरत दोनों जिलों की साइबर सेल ने बीते एक वर्ष में 90 लाख से अधिक की रकम साइबर ठगों से बचाने में सफलता हासिल की है। साइबर विशेषज्ञों ने अतिरिक्त सतर्कता और जागरूकता के साथ फ्रॉड होने की स्थिति में साइबर क्राइम पोर्टल और टोल-फ्री नंबर 1930 पर तुरंत रिपोर्ट करें, इसके बाद नजदीकी थाने में जल्द से जल्द शिकायत दर्ज कराएं।

कैसे-कैसे फ्रॉड 

साइबर फ्रॉड के अनेक मामले विभिन्न माध्यमों से प्रकाश में आ चुके हैं, जिनके कुछ उदाहरण आपके सामने रखे जा रहे हैं।

केस- 1

इन दिनों सर्वाधिक मामले डिजिटल अरेस्ट कर रकम ऐंठने के आ रहे हैं। 3 जून 2024 को शहर के सिटी कोतवाली थाना अंतर्गत मुख्त्यारगंज में निवासरत शिक्षक सतेन्द्र सिंह के पास एक फोन आया, जिसमें इंदौर में पढ़ रहे उनके बेटे अंशुमान और उसके साथियों के रेप केस में गिरफ्तार होने का झांसा दिया गया, फिर बेटे को बचाने के एवज में 2 लाख की मांग की गई और डराने के लिए थाने में टार्चर का वातावरण दिखाकर चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई गईं, जिससे घबराकर शिक्षक ने जालसाज के बताए गए बैंक खातों पर रुपए ट्रांसफर कर दिए, मगर फोन कटने के बाद जब उन्होंने बेटे से संपर्क किया तो पूरा मामला जालसाजी का निकला।

केस- 2

डिजिटल अरेस्ट का दूसरा मामला 11 नवंबर को सिविल लाइन थाना क्षेत्र के दक्षिणी पतेरी निवासी अभय कुमार जैन के साथ घटित हुआ था, जिसमें एआई सॉफ्टवेयर के जरिए उनके बेटे सौरभ जैन को मर्डर केस में गिरफ्तार किए जाने का डर दिखाया गया और उसे बचाने के बदले 40 हजार रुपए ऐंठ लिए गए। जालसाजों ने सोशल मीडिया से सौरभ की फोटो हासिल कर एआई से ऐसा आभासी वातावरण तैयार कर वीडियो कॉल के जरिए दिखाया, जो कि बिल्कुल असली लग रहा था। बुजुर्ग को तब तक रोके रखा गया, जब तक पैसे ट्रांसफर नहीं हो गए।

केस-3

साइबर फ्रॉड का एक मामला कोलगवां थाना क्षेत्र के भरहुत नगर निवासी सुशील कुमार उपाध्याय के साथ भी घटित हुआ, जिसमें 10 दिसंबर को एक्सिस बैंक का मैनेजर बनकर जालसाज ने बैंक एकाउंट का केवाईसी करने का झांसा दिया और तमाम गोपनीय जानकारी के साथ ओटीपी हासिल कर उनके लोन एकाउंट से 16 लाख 9 हजार 88 रुपए उड़ा दिए। यह रकम 8 बार में हड़पी गई, मगर पैसे कटने के एसएमएस तत्काल नहीं देखने के चलते पीडि़त को काफी देर बाद पता चला।