इसी हफ्ते घोषित हो सकता है भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष, संघ और बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं का दिल्ली में लगा जमावड़ा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इस पर इसी हफ्ते सहमति बन सकती है। दरअसल संघ प्रमुख मोहन भागवत के दिल्ली प्रवास और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों का राजधानी में जमावड़े के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। 

संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि संघ अपने अनुषांगिक संगठनों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता। उक्त पदाधिकारी ने कहा कि संघ का काम सलाह देने तक सीमित है। संघ से सलाह मांगी जाती है तो हम अपने अनुभव और प्राप्त जानकारी के अनुसार सलाह देते हैं, मगर यह तभी होता है जब सलाह मांगी जाती है। भाजपा के साथ भी ऐसा ही है। संगठन के मामले में कुछ बिंदु हैं, जिस पर विमर्श हो रहा है और यह स्वभाविक है।

दरअसल संघ और भाजपा के बीच महज राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को ले कर बातचीत नहीं हो रही है। बातचीत के एजेंडे में भविष्य में केंद्रीय मंत्रिमंडल में होने वाला फेरबदल, पार्टीशसित राज्यों में शीर्ष स्तर पर फेरबदल, प्रदेशों और केंद्रीय संगठन में बदलाव जैसे विषय हैं। संघ सूत्रों का कहना है कि भाजपा कई स्तर पर बदलाव पर सहमति बना रही है, इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में देरी हो रही है।

बीजेपी सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरूरी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष तय करने के लिए पार्टी स्तर पर सहमति बनी है। इस मामले में संघ से अंतिम बातचीत होनी है। इसके अलावा संघ चाहता है कि न सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष 60 साल से कम उम्र का हो, बल्कि पार्टी की सर्वाधिक ताकतवर इकाई संसदीय बोर्ड में वरिष्ठतम सदस्यों को जगह मिले। उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम के दो दिन बाद स्वदेश लौटने के पहले संघ और भाजपा में इसको ले कर सहमति बन जाएगी। इसके बाद मई के पहले सप्ताह में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में संगठन चुनाव जरूरी है। पार्टी के सामने मुश्किल यह है कि मध्यप्रदेश को छोड़ कर इन राज्यों में जो भी अध्यक्ष बनेगा, उसी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडऩा होगा। ऐसे में इन राज्यों में जातिगत समीकरण तय करना अहम है। मसलन गुजरात में पार्टी को आदिवासी मतदाताओं की चिंता है तो यूपी में पिछड़ी जाति के मतदाताओं की। इसके अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात और यूपी में पार्टी सत्ता में है। ऐसे में बतौर अध्यक्ष उसे ऐसे चेहरे की तलाश है जो सत्ता और सरकार में न सिर्फ संतुलन बैठा सके, बल्कि ओबीसी, आदिवासी वोटबैंक को भी साध सके।

माना जा रहा है कि दो दिन बाद सऊदी अरब की यात्रा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लौटने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरूरी उत्तरप्रदेश समेत कई अहम राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के नाम पर संघ और भाजपा में सहमति बन जाएगी। गौरतलब है कि वर्तमान में संघ प्रमुख भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले समेत संघ के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी दिल्ली में हैं।