आरटीआई जानकारी – भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों को सरकार की सुस्ती का सहारा

Bhaskar Jabalpur
Bhaskar Jabalpur

Mumbai News. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे अधिकारियों से संबंधित 374 फाइलें मंजूरी मिलने के इंतजार में हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने के पहले सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी लेनी आवश्यक होती है। लेकिन मंजूरी न मिलने से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच शुरू भी नहीं हो पाई है। यह जानकारी राइट टू इंफार्मेशन (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आई है। आरटीआई एक्टिविस्ट जीतेंद्र घाडगे द्वारा आरटीआई के जरिये प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 374 मामलों में से 371 की मंजूरी सक्षम प्राधिकारी के पास 120 दिन से अधिक समय से लंबित है। जिसके कारण एसीबी जांच नहीं शुरू हो पा रही है।

जवाबदेही व्यवस्था चरमराई

आरटीआई कार्यकर्ता घाडगे ने कहा कि एसीबी का गठन भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिए हुआ था। लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं वह यह बताते हैं कि जवाबदेही की पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। यदि एसीबी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती तो इसका मतलब जनता का सरकार पर से भरोसा उठ जाएगा।

नगरविकास विभाग में सबसे ज्यादा मामले

आरटीआई के मुताबिक, विभागवार आंकड़ों में सबसे खराब स्थिति नगर विकास विभाग की है। इस विभाग के 88 मामलों की जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी नहीं मिली है। जबकि राजस्व विभाग के 60, ग्रामीण विकास विभाग के 52 मामलों की मंजूरी नहीं मिली है। इतना ही नहीं, इस मामले में एसीबी ने भी यह जानकारी देने से इंकार कर दिया है कि किन मामलों की जांच ठुकराई गई है।